इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि आपराधिक मामले में जांच के लिए अधिकतम अवधि (90 दिन) समाप्त होने के बाद और आरोपपत्र दाखिल करने से पहले आरोपी की ओर से दाखिल डिफाल्ट जमानत अर्जी को खारिज करना विधिक और मौलिक दोनों अधिकारों का हनन है।
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