Sunday, November 1, 2020

TV चैनल्स का जमाना गया? भारत में चार महीने में 30% तक बढ़ गए OTT सबस्क्राइबर्स

भारत समेत दुनियाभर में मनोरंजन के तौर-तरीकों में बदलाव आ रहा है। फैमिली एंटरटेनमेंट के बजाय अब ओवर-द-काउंटर (OTT) प्लेटफॉर्म्स पर स्कैम 1992, मिर्जापुर, आश्रम जैसी वेब सीरीज बड़ी संख्या में दर्शकों को खींच रही है। कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन ने सबको भरपूर वक्त दिया और इस खाली समय ने OTT प्लेटफॉर्म्स को अपनाने करने की स्पीड बढ़ा दी।

रेडसीयर कंसल्टिंग की रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च से जुलाई 2020 के बीच भारत में OTT सेक्टर में पेड सबस्क्राइबर्स में 30% की बढ़ोतरी हुई है। मार्च में 2.22 करोड़ से बढ़कर पेड सबस्क्राइबर्स की संख्या 2.9 करोड़ तक पहुंच गई है। हालिया सर्वे कहता है कि लॉकडाउन में टीवी चैनल्स के लिए नए प्रोग्राम नहीं बने, थिएटर भी बंद रहे, नई फिल्मों की रिलीज टलती गई, ऐसे में सिर्फ OTT प्लेटफॉर्म्स ही मनोरंजन का जरिया बने। जो OTT प्लेटफॉर्म्स रीजनल कंटेंट लेकर आए, उन्हें सबसे ज्यादा फायदा मिला। नतीजा यह निकला कि अप्रैल-जुलाई 2020 के बीच 50% से ज्यादा ओवरऑल स्ट्रीमिंग हिंदी भाषा के कंटेंट की रही।

ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर 83% ज्यादा समय दे रहे भारतीय

दर्शकों में महानगरों का हिस्सा कम हुआ

अब तक OTT प्लेटफॉर्म्स पर वेब सीरीज देखने वाला एक बड़ा हिस्सा महानगरों का होता था। काउंटर पॉइंट रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल OTT कंटेंट देखने वालों में पांच महानगरों की हिस्सेदारी 55% थी। बाकी 45% में अन्य महानगर और पूरा देश आता है, लेकिन रेडसीयर कंसल्टिंग के सर्वे से पता चला कि इस साल लॉकडाउन से हालात बदले हैं। बढ़ते रीजनल कंटेंट पर सवार होकर OTT कंटेंट अब छोटे कस्बों-शहरों की ओर चल दिया है।

भारत में डेढ़ साल पहले 40 ओटीटी प्लेटफॉर्म्स थे, लेकिन अब इनकी संख्या 80 हुई

इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन की रिपोर्ट कहती है कि भारत में 90% कंज्यूमर रीजनल भाषाओं में कंटेंट देखना पसंद कर रहे हैं। OTT प्लेटफॉर्म पर बिताए समय का सिर्फ 7% इंग्लिश कंटेंट पर गया है। बदलाव ऐसा है कि OTT प्लेटफॉर्म्स की महानगरों पर निर्भरता कम हुई है और अब सिर्फ 46% रह गई है। टियर-1 में 35% और टियर-2 शहरों में 19% लोग OTT पर कंटेंट देख रहे हैं। रफ्तार देखकर लगता है कि एक-दो साल में महानगरों की हिस्सेदारी और कम हो जाएगी।

क्रिकेट और बॉलीवुड सब पर भारी

जब हम भारत में OTT प्लेटफॉर्म्स की लोकप्रियता की बात करते हैं तो कुछ रोचक आंकड़े सामने आते हैं। वेब सीरीज को लेकर अमेजन प्राइम वीडियोज, नेटफ्लिक्स के साथ ही जी5, सोनी लिव चर्चा में रहते हैं। सोनी लिव और वूट पर टीवी से पहले शो OTT प्लेटफॉर्म पर आ रहे हैं। हर एक के पास कम से कम दो-तीन चर्चित वेब सीरीज हैं।

MX प्लेयर, VIU, उल्लू, ALT बालाजी, हंगामा प्ले जैसे कई OTT प्लेटफॉर्म्स अलग-अलग तरह के कंटेंट दे रहे हैं। डिस्कवरी+ जैसे स्पेशल कंटेंट देने वाले प्लेटफॉर्म भी हैं। इसके बाद भी क्रिकेट और बॉलीवुड सब पर भारी है। लॉकडाउन के दौरान फिल्मों की रिलीज बंद हुई तो डिज्नी+ हॉटस्टार ने मल्टीप्लेक्स नाम से बिग बजट फिल्मों को OTT पर उतारा। IPL 2020 ने रही-सही कसर पूरी कर दी। रविवार को कुछ मैच एक करोड़ से भी ज्यादा लोगों ने देखे। यह बताता है कि TV चैनल्स के मुकाबले OTT प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल बढ़ रहा है।

भारत का मार्केट दुनिया में सबसे तेज

PwC ने अक्टूबर में ही मीडिया एंड एंटरटेनमेंट आउटलुक 2020 रिपोर्ट जारी की। यह कहती है कि पूरी दुनिया में भारत का OTT मार्केट सबसे तेजी से आगे बढ़ रहा है। 2024 तक भारत दुनिया का छठा सबसे बड़ा OTT मार्केट बन चुका होगा। सालाना 28.6% की रफ्तार से बढ़ेगा और चार साल में रेवेन्यू 2.9 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा। PwC इंडिया के एंटरटेनमेंट एंड मीडिया में पार्टनर एंड लीडर राजीब बसु ने कहा, कोविड-19 महामारी का असर सभी सेक्टरों पर एक जैसा नहीं पड़ा है। फिल्म थिएटर पर इसकी मार पड़ी है, लेकिन OTT के लिए यह वरदान साबित हुआ है।

ओटीटी ने पिछले साल सिर्फ सब्सक्रिप्शन से कमाए 1200 करोड़

नेटफ्लिक्स, अमेजन, डिज्नी+ हॉटस्टार और अन्य OTT सर्विसेस ने पिछले सालभर में इस पर निवेश बढ़ाया है। इसका नतीजा यह रहा कि OTT रेवेन्यू में सबस्क्रिप्शन वीडियो ऑन डिमांड (SVoD) का हिस्सा बढ़कर 93% हो गया है। दुनिया में यह आंकड़ा 87% है। 2019 से 2024 के बीच SVoD 30.7% की रफ्तार से बढ़ेगी। 2019 में यह 708 मिलियन डॉलर से बढ़कर 2024 में 2.7 बिलियन डॉलर होने का अनुमान है।

रिपोर्ट कहती है कि 2020 में पहली बार SVoD ने बॉक्स ऑफिस को कमाई में पीछे छोड़ दिया। अगले दो साल में सीधे-सीधे पूरी दुनिया में ही बॉक्स ऑफिस कलेक्शन OTT के रेवेन्यू से पीछे छूटने वाला है। इतना ही नहीं, पारंपरिक TV को भी OTT को होने वाले फायदे का बड़ा हर्जाना चुकाना होगा। 2024 तक TV की सालाना ग्रोथ निगेटिव होने का अनुमान है।



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