दिल्ली में कोरोनावायरस को लेकर स्थिति गंभीर होती जा रही है। पूरे देश में कोरोना संक्रमण के सबसे अधिक मामले दिल्ली में ही सामने आ रहे हैं। गुरुवार को दिल्ली में 6224 नए मामले सामने आए जबकि कुल 61381 टेस्ट किए गए थे। सौ से ज्यादा मौतें भी दर्ज की गईं। इस समय दिल्ली में 38 हजार से अधिक सक्रिय मामले हैं जबकि अब तक 8621 मौतें कोरोना संक्रमण की वजह से हो चुकी हैं।
दिल्ली के छावला इलाके में राधा स्वामी सत्संग ब्यास के कैंपस में दुनिया का सबसे बड़ा कोविड केंद्र संचालित किया जा रहा है। सरदार पटेल कोविड केयर सेंटर की कमान भारत के अर्धसैनिक बल आईटीबीपी के हाथों में हैं। दिल्ली में कोरोना के बढ़ते दबाव को देखते हुए यहां एक हजार अतिरिक्त बेड और तैयार किए जा रहे हैं। आईटीबीपी के महानिदेशक एसएस देशवाल ने कहा है कि सरदार पटेल कोविड केयर केंद्र की क्षमता को दो हजार बेड से बढ़ाकर तीन हजार बेड की जा रही है।
सरदार पटेल कोविड केयर सेंटर के कमांडिंग ऑफिसर एपी जोशी के मुताबिक, अभी यहां पांच सौ संक्रमित ही भर्ती हैं जबकि ऑक्सीजन सपोर्ट वाले पांच सौ ऑक्सीजन बेड लगाए जा रहे हैं। मरीजों की कम संख्या के सवाल पर वो कहते हैं, 'यह सेंटर गर्मियों के लिहाज से तैयार किया गया था। उसी हिसाब से सुविधाएं तैयार की गईं थीं। अब यहां सर्दियों के इंतेजाम किए जा रहे हैं।' दिल्ली में बढ़ते कोविड के मामले ने स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव बढ़ा दिया है। इसके साथ ही काम करने वाले कर्मचारियों पर भी दबाव बढ़ता जा रहा है।
आईटीबीपी कैंप में तैनात अधिकतर डॉक्टर, नर्स और अन्य मेडिकल स्टाफ केंद्रीय बलों से जुड़े हैं और बाहरी शहरों से यहां आए हैं। अब तक ये कैंप के पास ही होटलों में रह रहे थे और इनके किराए का भुगतान सरकार की ओर से किया जा रहा था। लेकिन एक नए आदेश के तहत 15 नवंबर के बाद से स्टाफ से कहा गया है कि वो होटल के बिलों का भुगतान स्वयं करें।
इस आदेश की वजह से कोविड सेंटर में काम कर रहे स्टाफ तनाव में हैं। एक हेड कांस्टेबल जो मेडिकल नर्स के तौर पर काम कर रही हैं, वो कहती हैं, 'हम रोजाना बारह घंटे से अधिक की शिफ्ट कर रहे हैं। इसके साथ अब होटल के बिल देने का भी दबाव है। अब तक हमारा बिल सरकार दे रही थी। इससे हमें मानसिक तनाव भी हो रहा है।'
वो कहती हैं, 'जिस होटल में हमें रखा गया है वहां एक कमरे का बिल 1750 रुपए प्रतिदिन है, हमें चार लोगों को एक रूम में रहना पड़ रहा है। तब भी ये हमारे रोजाना के बजट से बाहर है।'
एपी जोशी कहते हैं, "अब तक स्टाफ के रहने के बिलों का भुगतान सरकार की तरफ से हो रहा था। बीच में कुछ दिक्कत आई थी। स्टाफ को चिंता करने की जरूरत नहीं है। उन्हें पूरे पैसों का भुगतान कर दिया जाएगा। लेकिन मेडिकल स्टाफ का कहना है कि उन्हें जिन होटलों में रखा जा रहा है उनका किराया उनके यात्रा भत्ते से अधिक है ऐसे में उन्हें अपनी जेब से पैसे देने पड़ेंगे।"
सरदार पटेल कोविड केयर सेंटर में कैमिस्ट के तौर पर तैनात आईटीबीपी के एक कर्मचारी कहते हैं, '15 नवंबर के बाद से हमसे बिल खुद देने के लिए कहा गया है। हमने सस्ते होटल में रहना चाहा तो हमें डिसीप्लीनरी एक्शन का डर दिखाकर रोक दिया गया। ये महंगे होटल हमारे बजट से बाहर हैं। अभी हमें अपनी जेब से पैसा देना पड़ रहा है। बाद में जब हमें यात्रा भत्ते से पैसा मिलेगा भी तो पूरा नहीं मिल पाएगा क्योंकि होटल का रेट हमारे ग्रेड से ज्यादा है।'
वो कहते हैं, 'अगर होटल के पैसे हमें ही देने हैं तो हमें ये तय करने दिया जाए कि किस होटल में रहना है। क्योंकि अभी जिन होटलों में हमें रखा जा रहा है वो हमारे टीए-डीए क्लास से ऊपर हैं। हमसे ये भी कहा गया था कि बिल चुकाने के लिए हमारे खाते में 24 नवंबर तक पचास हजार रुपए दिए जाएंगे लेकिन वो सिर्फ अधिकारियों को दिए गए हैं, इंस्पेक्टर रैंक तक के किसी कर्मचारी को नहीं दिए गए हैं।'
सितंबर में जब मैंने यहां से रिपोर्ट की थी तो यहां स्टाफ में जीरो इंफेक्शन था। यानी यहां तैनात मेडिकल स्टाफ और आईटीबीपी के अधिकारी संक्रमण से दूर थे। अब यहां स्थितियां बदली हैं। यहां के कमांडिंग आफिस प्रशांत मिश्र समेत कई अधिकारी संक्रमित होने के बाद क्वारैंटाइन में हैं।
कोविड सेंटर में तैनात एक अन्य कर्मचारी कहते हैं, 'पहले परिस्थितियां हमारे लिए बेहतर थीं तो हम भी पूरी सेवा कर पा रहे थे। कमांडिंग ऑफिसर के पॉजिटिव होकर क्वारैंटाइन में जाने के बाद से यहां हालात बदले हैं। अब स्टाफ भी तनाव में हैं।' सरदार पटेल कोविड केयर सेंटर के संचालन में केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम सहयोग कर रहे हैं। यहां राधा स्वामी सत्संग ब्यास की ओर से मरीजों और स्टाफ को खाना दिया जा रहा है।
लेकिन मेडिकल स्टाफ का आरोप है कि अब उन्हें मुफ्त मिलने वाले खाने के बजाए होटल का खाना खाने के लिए कहा जा रहा है जिसका बिल उन्हें भुगतना पड़ता है। मेडिकल नर्स कहती हैं, 'यूं तो हम फ्रंटलाइन पर हैं और कोरोना वॉरियर हैं लेकिन हमें दी गईं सुविधाएं अब वापस ले ली गई हैं। इससे हमारा मनोबल टूट रहा है।'
वहीं कैमिस्ट कहते हैं, 'शुरुआत में हम बहुत हौसले से काम कर रहे थे। लेकिन अब पहले जैसी सुविधाएं ही हमें नहीं मिल रही हैं। हमें तीन महीने के लिए बुलाया गया था। अब ना ही हमें वापस जाने दिया जा रहा है और ना ही छुट्टी दी जा रही है। ये सब नहीं हैं तो कम से कम सुविधाएं तो बेहतर हो।' वहीं एपी जोशी कहते हैं, 'जो भी समस्याएं आ रही हैं उनका समाधान कर दिया गया है। किसी कर्मचारी को अपने पास से कोई पैसा खर्च करना नहीं होगा। सभी का पूरा पैसा दे दिया जाएगा।'
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