माघ मेले में पकड़े गए धर्मांतरण रैकैट के सदस्य संपर्क में आने वाले हर शख्स का रिकॉर्ड रखते थे। वह किताबें लेने वालों का नाम-पता डायरी में दर्ज करते थे। फिर इसे सरगना महमूद हसन गाजी के जरिये धर्मांतरण रैकेट के अन्य सदस्यों के पास भेजा जाता था।
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