महंत ने नरेंद्र गिरि ने दस साल के अंदर तीन वसीयतें लिखी थीं लेकिन अंतिम वसीयत में उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि आनंद ने मठ और मंदिर की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाई। इसीलिए उन्हें उत्तराधिकारी के पद से हटाया जा रहा है।
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