क्लेयर केन मिलर. महामारी फैलने के बाद से ही वर्क फ्रॉम होम का कल्चर तेजी से बढ़ा है। कई कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को घर से काम करने की सलाह दी है, लेकिन इनमें कुछ कंपनियां ऐसी भी हैं जिन्हें लगता है यह कल्चर कारगर नहीं है। शायद इसका कारण यह भी हो सकता है कि कंपनी वर्क फ्रॉम होम को ठीक तरह से स्वीकार नहीं कर पा रही हैं।
एग्जीक्यूटिव्स और शोधकर्ता कहते हैं कि सफेदपोश दफ्तरों ने फिजिकल ऑफिस की तरह ही पुराने तरीकों को जारी रखा और महसूस किया कि यह काम नहीं कर रहा है। जिन कंपनियों ने अपने काम करने के तरीकों को बदला है, उन्होंने ज्यादा सफलता हासिल की है। कुछ मामलों में इन कंपनियों में बातें समान हैं।
यहां कम मीटिंग होती हैं जो बड़ी होती हैं और एक के बाद एक चलती हैं। उन्होंने काम पर फोकस करने के लिए मीटिंग फ्री टाइम दिया है, काम करने के लिए अपने हिसाब से समय चुनने की आजादी और सहकर्मियों को सोशलाइज करने के तरीके खोजे हैं।
संकट के कारण ज्यादा मुश्किल हुई है रिमोट वर्किंग
बच्चों की केयर में कमी, बीमार होने या नौकरी जाने की चिंता जैसे महामारी के साइड इफेक्ट्स ने रिमोट वर्किंग को मुश्किल कर दिया है। हालांकि, इसके बावजूद कर्मचारी घर से ही काम करने की बात से संतुष्ट हैं। ज्यादातर लोगों का कहना है कि सुरक्षित तौर पर ऑफिस खुलने के बाद भी वे केवल पार्ट टाइम में वहां जाना चाहते हैं और हफ्ते के कई दिनों तक घर से ही काम करना चाहते हैं। को-क्रिएट वर्क की फाउंडर लाकीता विलियम्स का कहना है कि इस बात का मतलब है, एम्पलॉयर्स को पता करना होगा कि यह सब ठीक से कैसे काम करेगा।
कंपनियों के सही कल्चर न बनाने के कारण फेल हुई वर्क फ्रॉम होम
विलियम्स ने कहा, "वर्क फ्रॉम होम शुरू करने वाली कुछ बड़ी कंपनियों का कहना है कि यह असफल रहा। इसके फेल होने का एक बड़ा कारण यह भी है कि कंपनियों ने ऐसा कल्चर तैयार ही नहीं किया जो इसे सपोर्ट करे।"
माइक्रोसॉफ्ट में टीमों ने तुरंत यह महसूस किया कि एक घंटे या उससे ज्यादा कि अस्पष्ट एजेंडा वाली मीटिंग ऑनलाइन ज्यादा बेहतर रहीं। एक के बाद एक मीटिंग में मुश्किलें थीं। ऑफिस में लोग रेस्टरूम, खाने या फोन चैक करने के लिए एक मीटिंग से निकल दूसरी मीटिंग में जाने के दौरान मिले ब्रेक पर निर्भर रहते हैं।
11 प्रतिशत कम हुईं 1 घंटे से ज्यादा की मीटिंग्स
माइक्रोसॉफ्ट में बिजनेस सॉफ्टवेयर पर काम कर रही 400 लोगों की टीम ने देखा कि एक घंटे से ज्यादा की मीटिंग 11 प्रतिशत तक कम हुई हैं। जबकि आधे घंटे की मीटिंग में 22 फीसदी का इजाफा हुआ है। माइक्रोसॉफ्ट में मॉडर्न वर्कप्लेस ट्रांसफॉर्मेशन्स के लिए कॉर्पोरेट वाइस प्रेसिडेंट एमा विलियम्स के मुताबिक, वन ऑन वन मीटिंग्स 18 फीसदी तक बढ़ी हैं।
कुछ सहकर्मियों ने सोशल वीडियो मीटिंग्स की शुरुआत की है। जो लोग प्रोजेक्ट या रिचार्ज पर काम कर रहे हैं उनके लिए शुक्रवार को नो मीटिंग डे बनाया गया है। इसके अलावा माइक्रोसॉफ्ट एक और चुनौती का सामना कर रही है। ऑफिस के बजाए घर से काम करने के कारण काम और जीवन की रेखा धुंधली हो गई है। टीम ने पाया कि शाम 6 से रात 10 तक ऑनलाइन चैटिंग में 52 प्रतिशत की बढ़त हुई है।
काम को बेहतर ढंग से संभालने के दो तरीके हो सकते हैं मददगार
कुछ लोगों के लिए काम के घंटों को शिफ्ट करना मददगार लगता है, क्योंकि वे इस दौरान अपने बच्चों की देखभाल या एक्सरसाइज कर लेते हैं। मैनेजर्स भी जीवन और काम के बीच बाउंड्री को प्रोत्साहित करना चाहते हैं। इसका एक समाधान यह हो सकता है कि ऐसा टूल, जिसके जरिए कर्मचारी अपने कलीग को मैसेज लिखे जो अगले वर्किंग डे तक डिलीवर न हों। इसके अलावा एक तरीका हो सकता है मैनेजर और एम्पालइज के बीच ज्यादा से ज्यादा वन ऑन वन मीटिंग।
पीआर की जैसी माइक्रोसॉफ्ट से काफी छोटी कंपनियां भी इस तरह की रणनीति पर काम कर रहीं हैं। शुरुआत में उन्होंने लोगों को दोपहर या पूरे दिन की छुट्टी के साथ-साथ अपने पसंद का समय चुनने दिया, लेकिन बाद में पाया गया कि इससे साथ मिलकर काम करना बहुत मुश्किल हो रहा था। अब उन्होंने इंटरनल मीटिंग के समय को सुबह 10 से दोपहर 3 बजे तक सीमित कर दिया है। इससे लोगों को हर सुबह अपने काम पर फोकस करने और बच्चों और दूसरी जरूरतों के लिए समय निकालने में आसानी होगी।
एग्जीक्यूटिव्स और शोधकर्ताओं के अनुसार रिमोट वर्किंग को बेहतर बनाने के लिए ये 5 बदलाव करने चाहिए-
#1 काम के लिए निश्चित समय
कर्मचारियों से हर समय उपस्थित रहने की उम्मीद करने का कोई मतलब नहीं है। शोधकर्ताओं ने कहा कि इसके बजाए कंपनियों को साथ में और अकेले काम करने के बीच समय तय कर लेना चाहिए। इसके अलावा इस बात पर फोकस करना चाहिए कि काम ऑनलाइन रहते हुए ही पूरा कर लिया जाए। लोग दिन की शुरुआत और अंत को मार्क करने की रस्म भी बना सकते हैं। साथ ही कंपनियों को यह साफ कर देना चाहिए कि कर्मचारियों को तुरंत मैसेज का जवाब देने की जरूरत नहीं है।
#2 काम का आकलन करें समय का नहीं
लोग यह जान गए हैं कि उनका मूल्यांकन ऑफिस में बिताए गए समय के आधार पर किया जाता है। मैनेजर्स को इस बात को लेकर स्पष्ट होना चाहिए कि दिए गए काम को लेकर वे क्या उम्मीद करते हैं और यह कब तक पूरा होना चाहिए। शोधकर्ताओं का कहना है कि काम कैसे पूरा होगा इस बात को कर्मचारियों पर छोड़ दें और 9 से 5 के शेड्यूल की चिंता न करें।
#3 मीटिंग को कम से कम रखें
तय करें कि कौनसी मीटिंग्स की ज्यादा जरूरत है। कुछ मीटिंग्स को स्लैक पर शिफ्ट कर दें। मीटिंग्स को छोटा रखें और साथ में ब्रेक का भी ध्यान रखें। इसके अलावा जो लोग इस मीटिंग में शामिल नहीं हो सकते, उनके लिए इसे वैकल्पिक रखें और डिटेल्ड नोट छोड़ दें।
#4 सहकर्मियों को जोड़ें
ऑफिस की दोस्ती से काम बेहतर होता है और इस दौरान लोग इस दोस्ती को मिस कर रहे हैं। इसके लिए कुछ लोग हाल जानने के लिए कॉल करने की सलाह देते हैं। इसके अलावा सोशल डिस्टेंसिंग के साथ वॉक पर भी जा सकते हैं।
#5 सभी को शामिल करें
रिमोट वर्किंग के कारण कुछ लोग खुद को अलग पा रहे हैं। रोज बातचीत नहीं होने के कारण लोग केवल उन्हीं से कनेक्ट हो रहे हैं, जिन्हें वे बेहतर जानते हैं। ऐसे में खुद को वीडियो कॉल पर मुखर होकर सामने लाना मुश्किल हो सकता है। ऑफिस में नए रिश्ते बनाना काफी मददगार हो सकता है। यह उन लोगों के लिए भी अच्छा होगा, जो कंपनी में नए हैं।
एग्जीक्यूटिव और शोधकर्ताओं ने कहा कि कंपनियां मेंटर्स के साथ मीटिंग की संख्या बढ़ा सकती हैं। लोगों को अनजान लोगों के साथ काम करने को लेकर ज्यादा जागरूक होना चाहिए।
कई मायनों में कंपनियों ने पाया है कि रिमोट वर्किंग और बेहतर हो सकती है। इन पर्सन मीटिंग के बजाए स्लैक पर बात करना कई लोगों के लिए बेहद आसान होगा। यह संभावना है कि वर्क फ्रॉम होम का दौर लंबा चले और कई लोग फुल टाइम के लिए ऑफिस लौटना न चाहें। ऐसे में यह टिप्स भविष्य में घर से किए जा रहे काम को बेहतर बना सकती हैं।
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