इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि कानूनी उपबंध नहीं है तो कोर्ट उत्तर पुस्तिका के पुनर्मूल्यांकन का समादेश जारी नहीं कर सकती। कोर्ट ने तमाम न्यायिक फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि कानून बनाने का कार्य विधायिका का है।
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