तब- आरक्षण के लिए जिस जाति को जो जरूरी लगा, किया... 80 जातियां ऐसी निकलीं जिनकी संख्या 10 से भी कम थीं,अब- केंद्र के दोबारा इनकार के बाद अगर अब जातिगत गणना करवानी है तो बिहार सरकार को अपने ही खर्च पर करवानी होगी
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