उत्तराखंड हाईकोर्ट ने देहरादून जिला जज प्रशांत जोशी को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया है। हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल एचएस बोनाल की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि जिला जज जोशी 21 व 22 दिसम्बर को मसूरी कोर्ट सरकारी वाहन से न जाकर केके सोनी नामक व्यक्ति की ऑडी कार से गए थे, जिस पर कुछ दिनों पहले ही राजपुर थाने में 420, 467 और 468 धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ था।
हाईकोर्ट ने इस कार के नम्बर का उल्लेख भी अपने आदेश में किया है और इसे सरकारी सेवा मानकों का उल्लंघन माना गया है। आदेश में कहा गया है कि जिला जज के रूप में उनके पास वाहन उपलब्ध होने के बावजूद ऐसा करना गम्भीर चूक थी।
उक्त कार मसूरी स्थित सरकारी कोर्ट परिसर के बाहर खड़ी दिखी थी। निलम्बन अवधि में जोशी रुद्रप्रयाग कोर्ट से अटैच होंगे और इस अवधि में उन्हें नियमानुसार आधा वेतन दिया जाएगा। बता दें 2019 में भी भ्रष्टाचार के मामलों में आरोपी उधम सिंह नगर की सिविल जज को बर्खास्त कर दिया गया था।
इंद्राणी नहीं पहनना चाहती दोषियों वाले कपड़े, याचिका
शीना बोरा हत्याकांड की प्रमुख आरोपी इंद्राणी मुखर्जी जेल में दोषियों को दिए जाने वाले कपड़े नहीं पहनना चाहती है। मंगलवार को इंद्राणी ने मुंबई की विशेष सीबीआई अदालत में याचिका दायर कर जेल में दोषियों का पहनावा पहनने से छूट का अनुरोध किया है।
मुंबई के बायखला महिला कारावास में बंद मुखर्जी ने अपनी याचिका में कहा है कि जेल अधिकारी दोषियों के पहनावे वाली हरी साड़ी पहनने को कह रहे हैं जबकि वह सिर्फ विचाराधीन कैदी हैं। अदालत ने जेल अधिकारियों से पांच जनवरी को जवाब देने को कहा।
वयस्क की अपनी मर्जी से धर्म परिवर्तन और शादी में दखल नहीं दे सकते: कलकत्ता हाईकोर्ट
कोलकाता| कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि अगर कोई वयस्क लड़की अपनी पसंद से शादी और धर्म परिवर्तन करती है तो उसमें हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने एक पिता द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें उसने दावा किया था कि उसकी बेटी पर दूसरे धर्म के व्यक्ति से शादी करने के लिए अनुचित रूप से दबाव डाला गया।
कलकत्ता हाईकोर्ट के जज संजीब बनर्जी और अरिजीत बनर्जी की खंडपीठ ने धर्म परिवर्तन और इंटरकास्ट मैरिज को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया है। पीठ ने कहा, वयस्क इंसान अपनी मर्जी से अपना धर्म परिवर्तन और जीवनसाथी चुनने के लिए स्वतंत्र है। एक वयस्क अपने धर्म को परिवर्तित करने और अपने माता-पिता के घर वापस लौटने से इनकार करने के लिए भी स्वतंत्र है।
याचिकाकर्ता ने अपनी 19 वर्षीय बेटी के अपनी पसंद के एक व्यक्ति से शादी करने के खिलाफ अदालत में याचिका दायर कर शिकायत की थी कि उसकी बेटी ने मजिस्ट्रेट के सामने जो बयान दर्ज कराया है, वह हो सकता है कि ऐसे माहौल में दर्ज न कराया गया हो, जिसमें वह सहज महसूस कर रही हो।
पिता के एफआईआर दर्ज कराए जाने के बाद पुलिस ने युवती को न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया था। युवती ने मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज कराते हुए कहा था कि उसने अपनी मर्जी से शादी की है।
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